ये हैं विश्व के सबसे प्राचीन मंदिर, जानें मुंडेश्वरी मंदिर की रहस्यमयी प्राचीनता

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मुंडेश्वरी मंदिर, जो बिहार के कैमूर जिले में स्थित है, विश्व का सबसे पुराना और कार्यरत प्राचीन मंदिरों में से एक है। इस मंदिर को विशेषत: शिव-शक्ति के साथ जोड़ा जाता है, क्योंकि यहां पंचमुखी शिवलिंग स्थित है, जिसका रंग दिन में तीन बार बदलता है, व्यापक रहस्यमयता के साथ।

बिहार, जिसे मौर्य साम्राज्य और बौद्ध धर्म के विकास का केंद्र माना जाता है, इस मंदिर के स्थान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। पटना, जिसे पहले पाटलिपुत्र कहा जाता था, ने इस क्षेत्र के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसी स्थान पर मुंडेश्वरी मंदिर, जिसे शिवलिंग के साथ जोड़ा जाता है, ने अपनी प्राचीनता और आध्यात्मिक महत्ता के कारण विख्याति प्राप्त की है।

मंदिर के प्राचीन इतिहास के अनुसार, यह इस स्थान पर 108 ईस्वी में बना था, जो भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण संस्थान ने मान्यता प्रदान की है। इसका विकास सम्राट अशोक के शासनकाल में हुआ था और इसे शक्तिपीठों की सूची में भी शामिल किया गया है।

मुंडेश्वरी मंदिर का गर्भगृह विशेष है, जहां पंचमुखी शिवलिंग स्थित है जो दिन में तीन बार अपना रंग बदलता है। इसके परिसर में सुंदर वास्तुकला और कलाकृतियाँ सजीव होती हैं, जो मंदिर को एक अद्वितीय स्थल बनाती हैं।

इस मंदिर का नाम माता मुंडेश्वरी से जुड़ा है, जिसका इतिहास प्राचीन कहानियों के माध्यम से लोगों को सुनाया जाता है। इसे एक पुरानी कहानी के अनुसार मुंड नामक दानव का वध करने के लिए माता शक्ति ने इस स्थान पर अपना आवतार दिखाया था, और इसके बाद मंदिर को मुंडेश्वरी मंदिर कहा गया।

इस प्राचीन मंदिर का दौरा करके यात्री न केवल धार्मिक अनुष्ठान का आनंद लेते हैं, बल्कि उन्हें इसकी विशेषता और रहस्यमयता से भी परिचित होने का अवसर मिलता है।

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