Human Rights Day: क्या है मानवाधिकार दिवस का इतिहास? जानिए क्यों हुई थी इसकी शुरुआत
जब हम मानवाधिकार दिवस की बात करते हैं, तो मानवता, समानता, और न्याय के मूल्यों की महत्वपूर्णता सामने आती है। यह एक दिन है जब हम सभी को उनके मौजूदा और आने वाले हक़ों को समझाने और मान्यता देने का अवसर मिलता है। साल 2023 में, अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस की थीम है “सभी के लिए स्वतंत्रता, समानता और न्याय”।
यह दिन महत्वपूर्ण है क्योंकि 1948 में संयुक्त राष्ट्र सामान्य महासभा ने इसी दिन मानव अधिकारों को अपनाने की घोषणा की थी, जो बाद में 1950 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने मानवाधिकार दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। इस दिन का उद्देश्य है कि हर व्यक्ति को सुरक्षित महसूस करना चाहिए और उन्हें भेदभाव रहित स्वतंत्रतापूर्ण जीवन जीने का हक़ मिलना चाहिए। मानवाधिकार में स्वास्थ्य, आर्थिक, सामाजिक और शिक्षा के अधिकार शामिल हैं।
भारत में भी, 28 सितंबर 1993 को मानवाधिकार कानून को अमल में लाया गया, जिससे मानवाधिकारों के उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कानूनी कदम उठाने का प्रावधान है। इसके साथ ही, ‘राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग’ का गठन किया गया, जो अधिकारों की सुरक्षा और न्याय की दिशा में काम करता है।
इस साल की थीम “सभी के लिए स्वतंत्रता, समानता और न्याय” हमें याद दिलाती है कि मानवाधिकारों का समर्थन करना और उन्हें सुनिश्चित करना हम सभी की जिम्मेदारी है। इस मौके पर, हमें यह सोचने का अवसर मिलता है कि हम अपने समाज में न्याय और समानता की भावना को कैसे मजबूती से बढ़ा सकते हैं और इससे कैसे हम सभी को स्वतंत्र और समृद्धि में हिस्सा बना सकते हैं।