नवरात्र के चौथे दिन करें मां कूष्मांडा की पूजा, कैसे करें मां को प्रसन्न, क्या है पूजा विधि ?

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नवरात्र के चौथे दिन माता कूष्मांडा की पूजा की जाती है। माता कूष्मांडा सौरमंडल की अधिष्ठात्री देवी मानी गई हैं। माता ने अपनी मंद मुस्कान से ब्रह्मांड का सृजन कर दिया था. मंद हंसी के द्वारा ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण ही इनका नाम कूष्मांडा पड़ा। मां कुष्मांडा की आठ भुजाएं हैं इसलिए यह अष्टभुजा भी कहलाईं है। इनके आठ हाथों में कमण्डल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प अमृतपूर्ण कलश, चक्र, गदा और माला है। इनका वाहन सिंह है. मां कुष्मांडा का वास सूर्यमंडल के भीतर है।

मां कूष्मांडा को लगाएं ये भोग

मां कूष्मांडा को मालपुए का भोग लगाने की परंपरा है। ऐसा भी कहा जाता है कि इस दिन ब्राह्मणों को मालपुए खिलाने चाहिए। ऐसा करने से बुद्धि का विकास होता है और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है।

जानिए क्या है मां की पूजा विधि ?

मां कूष्मांडा की पूजा से बुध ग्रह से संबंधित दोष दूर किए जा सकते हैं। मां कूष्मांडा की पूजा वाले दिन हरे रंग के वस्त्र पहनें। बुध के अशुभ प्रभाव से पीड़ित व्यक्ति के उम्र जितनी हरि इलाइची लें और फिर एक-एक कर ये इलाइची मां के चरणों में चढ़ाते जाएं। इस दौरान ये मंत्र बोलें “ॐ बुं बुधाय नमः”. अगले दिन सारी इलाइची को एकत्र करके हरे कपड़े में बांधकर सुरक्षित रख लें। मान्यता है इससे वाणी और बुद्धि में निखार आता है और स्वास्थ लाभ मिलता है।

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